
नजीबाबाद। आषाढ़ी पूर्णिमा (गुरु पूर्णिमा) के महामंगल पर्व के अवसर पर बृहस्पतिवार, 09 जुलाई 2025 को बुद्ध संस्कृति विश्वविद्यापीठ की ओर से विचार गोष्ठी का आयोजन किया गया। जिसमें वक्ताओं ने वक्ताओं ने भगवान बुद्ध की शिक्षाओं को जन-जन तक पहुंचाने की आवश्यकता पर जोर दिया।
तिरुपति बालाजी कॉलोनी स्थित विश्वविद्यापीठ के कार्यालय पर हुई गोष्ठी का शुभारंभ भगवान बुद्ध की प्रतिमा के समक्ष मोमबत्ती प्रज्वलित कर पुष्प अर्पित कर किया गया। बौद्ध भिक्षु संघरत्न एवं जीवन ज्योति रत्न द्वारा समस्त प्राणियों की मंगल कामना के लिए बुद्ध वंदना, त्रिशरण, पंचशील एवं महामंगल गाथा का पाठ किया गया। इस मौके पर बुद्ध संस्कृति विश्वविद्यापीठ के अध्यक्ष गोविंद सिंह बौद्ध ने कहा कि भगवान बुद्ध के समय में वर्षाकाल में बौद्ध भिक्षु अपने-अपने बुद्ध विहारों में रहकर अध्ययन करते थे और वर्षा काल समाप्त होने पर भगवान बुद्ध की शिक्षाओं को जन-जन तक पहुंचाने का कार्य करतें थे। आज भी उनकी शिक्षाओं को जन-जन तक पहुंचाने की आवश्यकता है।
गोष्ठी को दि बुद्धिस्ट सोसाइटी ऑफ इंडिया के महासचिव राकेश मोहन भारती ने भी संबोधित किया। उन्होंने कहा कि आषाढ़ी पूर्णिमा को भगवान बुद्ध ने प्रथम पंचवर्गीय भिक्षुओं को सारनाथ में उपदेश दिया था। उनके ज्ञान से प्रभावित होकर उन्होंने बुद्ध के मार्ग पर चलने का निश्चय किया और उनके मार्ग को जन-जन तक पहुंचाने का दृढ़ संकल्प किया। इस दिन को धम्मचक्र परिवर्तन दिवस के नाम से भी जाना जाता है।
कार्यक्रम में अमन कुमार त्यागी, धर्मवीर सिंह, अंजूषा सिंह, ऋषा बौद्ध, ओजस्व सिंह गोविंद आदि की गरिमामय उपस्थिति रही। कार्यक्रम की अध्यक्षता गोविंद सिंह बौद्ध एवं संचालन इंद्रराम सिंह बौद्ध ने किया।