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वेब शुगर इंडस्ट्रीज में शुगर वेज बोर्ड का “घोर उल्लंघन”

- शिकायत के बावजूद नहीं हुआ समाधान, अफसरों से सांठ-गांठकर मारा जा रहा श्रमिकों का हक - चड्ढा ग्रुप की बिजनौर चीनी में आर्थिक उत्पीड़न का शिकार हैं करीब 80 कामगार

बिजनौर, राष्ट्रीय पंचायत ब्यूरो। इंडस्ट्रीज के क्षेत्र में चर्चित नाम चड्ढा ग्रुप की बिजनौर इकाई यानी वेब शुगर इंडस्ट्री प्राइवेट लिमिटेड श्रमिकों का हक मारने में भी चर्चित हो गई हैं। यह बात अलग है कि यह चर्चा सिर्फ श्रमिकों, उनके परिवारों और कुछ मिलने वालों तक सिमटकर रह गई हैं। क्योंकि, इस चर्चा को शिकायत के रूप में श्रम विभाग तक पहुंचाने के बावजूद न तो कोई कार्यवाही हो रही है, और न ही सुनवाई होने पर यह मामले मीडिया की शुर्कियां बन पाया है। इसकी वजह चाहे जो भी हो, लेकिन बिजनौर चीनी मिल में काम करने वाले श्रमिकों को उनके हक, खास तौर से वेतमान दिलाने के लिए शुगर वेज बोर्ड भी फेल हो गया है।

बिजनौर चीनी मिल में श्रमिकों का हक मारने का मामला वैसे तो लंबे अर्से से चला आ रहा है। लेकिन, अभी तक यह सिर्फ आरोपों तक ही सीमित था। इन आरोपों की पुष्टि तब हुई, जब बीते पेराई सत्र 2024-25 के दौरान 22 जनवरी 2025 की रात करीब 08ः05 इस मिल में छापामारी की गई। यह कार्यवाही निदेशालय में की गई शिकायत पर की गई थी। जिस पर सहायक श्रमायुक्त, श्रम विभाग बिजनौर कार्यालय से लेबर इंस्पेस्टर प्रीति सोम और कारखाना विभाग बिजनौर से ही एडीएफ सुरेन्द्र बहादुर की संयुक्त टीम ने बिजनौर चीनी मिल में छापामारी करते हुए निरीक्षण किया। निरीक्षण के दौरान टीम ने चीनी मिल में कई खामियां पाई। चूंकि, मिल एक औद्योगिक इकाई हैं, इसलिए इस पर कारखाना अधिनियम यानी फैक्ट्र एक्ट लागू होता, और इस औद्योगिक इकाई में चीनी या शुगर बनती है, इसलिए इस औद्योगिक इकाई में काम करने वाले श्रमिकों को वेतनमान देने के लिए शुगर वेज बोर्ड लागू होता है। लेकिन, चीनी मिल में न तो शुगर वेज बोर्ड का अनुपालन होता दिखा, और न ही फैक्ट्री एक्ट के अनुसार शुगर मिल का संचालन पाया गया। दोनों विभागों के अधिकारियों की संयुक्त जांच के दौरान टीम ने बिजनौर चीनी मिल में जो खामियां पाई उनका विवरण इस प्रकार है-

ऐसी गड़बड़ियां, जिनमें सुधार कराना श्रम विभाग का दायित्व है

निरीक्षण के दौरान बिजनौर चीनी मिल में न्यूनतम मजदूरी अधिनियम 1948 एवं उ.प्र. न्यूनतम मजदूरी नियमावी 1952 के तहत धारा 11, धारा 12 का उल्लंघन पाया गया। अर्थात इन प्रावधानों के अनुसार श्रमिकों को न्यूनतम मजदूरी का भुगतान नहीं किया जा रहा। साथ ही श्रमिकों को प्रपत्र- 10 में वेतन पर्ची भी नहीं दिए जाने का उल्लंघन भी पाया गया।

इसके अलावा वेतन भुगतान अधिनियम की धारा-5 (यानी निर्धारित समय में वेतन दिया जाना) का उल्लंघन मिला, और मिल में काम करने वाले 362 श्रमिकों को बोनस भुगतान अधिनियम 1965 एवं तत्संबंधी नियमावली के तहत बोनस दिया या नहीं, इसके तो मिल ने टीम को अभिलेख ही नहीं दिखाए। चीनी मिल में संविदा श्रमिक अधिनियम के तहत धारा-29, नियम-75, धारा-29 नियम-76 और धारा-29 नियम का उल्लंघन पाया गया। प्रधान नियोजक यानी चीनी मिल इकाई के मालिक द्वारा धारा-1(1), नियम-17 (50 से अधिक श्रमिक नियोजित होने के बावजूद प्रतिष्ठान का पंजीकरण नहीं कराना), धारा-29, नियम-74 (प्रपत्र 12 में संविदाकारों/ठेकेदारों का रजिस्टर नहीं रखना), और धारा-20 के विभिन्न नियमों का उल्लंघन भी पाया गया। निरीक्षण के बाद श्रम प्रवर्तन अधिकारी प्रीति सोम द्वारा निरीक्षण के तत्काल बाद यानी 22 जनवरी 2025 को ही निरीक्षण टिप्पणी दे दी गई थी। जैसा कि अमूमन निरीक्षण के दौरान होता है। लेकिन, निरीक्षण टिप्पणी प्राप्त करने वाली इकाई अर्थात बिजनौर चीनी मिल ने 15 दिन (प्रावधान के अनुसार निर्धारित समयावधि) बीत जाने के बावजूद न तो श्रमिकों को पूर्ण वेतन का भगतान किया, और न ही पिछले बकाया वेतन का एरियर दिया, जोकि अकुशल, अर्धकुशल और कुशल श्रेणी के श्रमिकों का मिलकर कुल करीब 33,40,840 रूपए क्षतिपूर्ति सहित (निरीक्षण के वक्त तक) होता हैं। इसके अलावा, श्रम कानून के विपरीत पाई गई अन्य विसंगतियां भी चीनी मिल में ज्यों-त्यों रह गई।

ऐसी गड़बड़ियां, जिनमें सुधार कराना कारखाना विभाग का दायित्व है

निरीक्षण के दौरान बिजनौर चीनी मिल में कई ऐसी खामियां भी पाई गई थी, जिन्हें सही कराना कारखाना विभाग का दायित्व है। अर्थात, कारखाना अधिनियम 1948 एवं उ.प्र. कारखाना नियमावली 1950 के विभिन्न प्रावधनों अनुसार बिजनौर चीनी मिल में श्रमिकों की सुरक्षा के लिए पुख्ता इंतजाम होने चाहिए थे।

क्योंकि, औद्योगिक इकाई में संचालित उपकरणों मशीनरी का संबंधित सक्षम संस्थान/व्यक्ति से समय-समय पर परीक्षण सत्यापन कराना होता है, और इस संबंध में जारी होने वाला प्रमाण पत्र इकाई कार्यालय में रखना होता है, ताकि निरीक्षण के वक्त उसे प्रस्तुत किया जा सके। लेकिन 22 जनवरी 2025 को संयुक्त जांच टीम द्वारा निरीक्षण हुआ था, तब बिजनौर चीनी मिल में कारखाना अधिनियम एवं नियमावली के तहत कई धाराओं का उल्लंघन पाया गया। जैसे धारा-6, नियम 9, धारा 7ए, नियम 52बी, धारा 29 नियम 55ए, धारा 31, नियम 56, धारा 38 नियम 61, धारा 62, नियम 102/103 आदि सहित कई धाराएं और नियमों का उल्लंघन पाया गया। सूत्रों के अनुसार जांच के वक्त 03 प्रेशर उपकरण टेस्टेड नहीं थे, ओवरहेड क्रेनों के प्रत्येक परीक्षण होना नहीं पाया गया, पैकिंग जोन में लगे 02 ट्रैक्टर जिन पर चीनी की बोरियां लादी जा रही थी, वे भी पंजीकृत नहीं थे। जिनको टीम ने सुरक्षा की दृष्टि से खतरनाक माना था। लेकिन, अफसोस इस बात है कि कारखाना विभाग के अपर निदेशक कारखाना सुरेन्द्र बहादुर द्वारा भी चीनी मिल को निरीक्षण टिप्पणी देकर पल्ला झाड़ लिया गया। उनके द्वारा दी गई निरीक्षण टिप्पणी का भी 15 दिन तो छोड़िए, आज कोई असर नहीं दिखा।

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