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डाॅ. अनिल शर्मा ‘अनिल’ की गीतिकाओं पर केंद्रित ‘ओपन डोर’ साप्ताहिक पत्रिका के विशेषांक का विमोचन

नजीबाबाद। कुसुम विहार स्थित राज्य सम्मान से सम्मानित शिक्षक सुधीर कुमार राणा के आवास पर उन्हीं की अध्यक्षता में कवि डाॅ. अनिल शर्मा ‘अनिल’ की गीतिकाओं पर केंद्रित ‘ओपन डोर’ साप्ताहिक पत्रिका के विशेषांक का विमोचन किया गया। तथा डाॅ. अनिल शर्मा ‘अनिल’ एवं मुख्य अतिथि कवि नरेन्द्रजीत सिंह ‘अनाम’ को अंगवस्त्र ओढ़ाकर सम्मानित किया गया। कार्यक्रम का संचालन अमन कुमार त्यागी ने किया।

इस अवसर पर साहित्य पर प्रकाश डालते हुए एडवोकेट सन्दीप कुमार सिंह ने कहा, साहित्य समाज का दर्पण होता है। उन्होंने बताया कि मैं एक अच्छा पाठक हूं आज भी अखबारों में संपादकीय पृष्ठ पर प्रकाशित सभी लेख पढने का समय निकाल लेता हूं। अच्छी कविताएं और कहानी पढने का मेरा शौक बना हुआ है।

एडवोकेट जितेन्द्र कुमार ने भी अपने विचार रखते हुए साहित्य को आवश्यक बताया और उन्होंने एक गीत भी इस अवसर पर सुनाया। शिक्षक करन सिंह ने शिक्षा और साहित्य पर प्रकाश डालते हुए साहित्य की महत्ता को बताया। उन्होंने बताया कि साहित्य में छात्रों की रुचि अधिक होती है।

बुद्ध संस्कृति विश्वविद्यापीठ के संस्थापक गोविन्द सिंह बौद्ध ने कहा कि पहले मुझे साहित्य की समझ नहीं थी लेकिन साहित्यकारों से अधिक संपर्क रहने के कारण अब मैं भी साहित्य और उसकी महत्ता को समझने लगा हूं। डाॅ. अनिल शर्मा जी की गीतिकाओं पर केंद्रित यह अंक एतिहासिक है और यह पाठकों को अवश्य पढ़ना चाहिएं। मुख्य अतिथि नरेन्द्रजीत सिंह ‘अनाम’ ने अपना प्रसिद्ध गीत बेटी और दहेज पर गीत सुनाया- ‘अरी नन्ही लाडली, इन आंखों से ओझल होकर कहां चली?’

और एक ग़ज़ल भी सुनायी- ‘जीवन मिला मुझे मगर खुशियों के पल नहीं,

ऐसी मिली है मुश्किलें कुछ दिल का हल नहीं।’ डाॅ. अनिल शर्मा ‘अनिल’ ने अपने साहित्यिक जीवन पर प्रकाश डालते हुए बताया कि मैं अपने आसपास जो देखता हूं उसे अपने शब्दों में अभिव्यक्त कर देता हूं। इस अवसर पर अनिल शर्मा ‘अनिल’ ने फायकूमय गीत ‘आया सावन’ सुनाया-

बरसे बदरा, चलती पवन

आया मनभावन सावन

तुम्हारे लिए।

परदेसी मीत, गाकर गीत

पुकारे है प्रीत

तुम्हारे लिए।

आ रे ओ मनमीत

यही है रीत

तुम्हारे लिए।

आ जा दिखा दर्शन

प्रतीक्षा में नयन

तुम्हारे लिए।

बरसे…

आ जा ओ हरजाई

धरती है हरियाई

तुम्हारे लिए।

सज धज मैं आई

मेहंदी भी रचाई

तुम्हारे लिए।

प्यासा रे तन मन

अंगड़ाई ले सपन

तुम्हारे लिए।

बरसे…

कार्यक्रम की अध्यक्षता कर रहे शिक्षक सुधीर कुमार राण ने सभी अतिथियों का स्वागत किया और बिजनौर जनपद के पर्यटन को चित्रित करते हुए फायकू सुनाये

गंगा तीरे बिजनौर धरती

करती है पुकार

तुम्हारे लिए।

पर्यटन के मानचित्र पर

संभावना है अपार

तुम्हारे लिए।

अभिज्ञान शकुंतला को पढ़ा

वहां भी जयकार

तुम्हारे लिए।

विदुर ने बनाई कुटिया

जब आये गंगापार

तुम्हारे लिए।

गुरु द्रोण का गुरुकुल

नाम है सैंदवार

तुम्हारे लिए।

राजाजी पार्क जिम कार्बेट

दोनों के आरपार

तुम्हारे लिए।

नजीबाबाद का किला सुल्ताना

खुले हैं द्वार

तुम्हारे लिए।

हैदरपुर वेटलैंड वल्र्ड सेंचुरी

गंगा के पार

तुम्हारे लिए।

अमानगढ़ में टाइगर रिजर्व

यहीं खुलते द्वार

तुम्हारे लिए।

मालिनी गंगा संगम पर

जन्में भरत विराट

तुम्हारे लिए।

और देखो किला मोरध्वज

अब हुआ आबाद

तुम्हारे लिए।

चीनी उत्पादन में अव्वल

खेती हुई अपार

तुम्हारे लिए।

शिवालिक से निकली गंगा

बनाया जैसे हार

तुम्हारे लिए।

बिजनौर पर्यटन भी छाये

इत्ता सा सार

तुम्हारे लिए।

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