
बिजनौर, 14 मई। एडीआर केन्द्र जजी परिसर बिजनौर में कार्य स्थल पर महिलाओं का यौन उत्पीड़न रोकथाम निषेध और निवारण अधिनियम विषय पर जागरूकता कार्यक्रम आयोजित किया गया।
कार्यक्रम की अध्यक्षता अपर जनपद न्यायाधीश स्पेशल पोक्सो श्रीमती कल्पना पाण्डेय ने की। उन्होंने उक्त अधिनियम के विषय में विस्तार पूर्वक जानकारी देते हुए बताया कि 2023 में उच्चतम न्यायालय के द्वारा फर्नाडीज बनाम गोवा के वाद में महिलाओं के प्रति होनेवाले उत्पीड़न को रोकने के लिए प्रत्येक विभाग में
समितियों का गठन इस कानून के अन्तर्गत अनिवार्य रूप से किये जाने के लिए दिशा निर्देशित किया गया है।
उन्होंने बताया कि कार्यस्थल पर महिलाओं के साथ यदि कोई यौन उत्पीड़न की घटना होती है तो 90 दिन के अन्दर उसके विषय में अपना प्रार्थना पत्र समिति के समक्ष दे सकती हैं। अपर जनपद न्यायाधीश एवं जिला विधिक सेवा प्राधिकरण के सचिव श्रेय शुक्ला ने बताया कि इस अधिनियम के अन्तर्गत पीड़ित महिला की श्रेणी को व्यापक बनाया गया है और इसके अन्तर्गत किसी भी कार्यालय में कार्यरत महिला कर्मचारी, न्यायालय में आने वाली वादकारी महिलाएं, महिला अधिवक्ता, घरेलू कामगार असंगठित क्षेत्र में काम करने वाली महिलाएं भी आती हैं, जो अपनी शिकायतें सम्बन्धित समितियों को प्रेषित कर सकती हैं।
अपर मुख्य न्यायिक मजिस्ट्रेट सुश्री नैन्सी धुन्ना ने बताया कि यौन उत्पीड़न रोकथाम निषेध और निवारण अधिनियम के अन्तर्गत शिकायत कर्ता और उत्तरदाता दोनों की पहचान गोपनीय रखी जाती है। जांच के दौरान यदि समिति द्वारा उत्तरदाता के विरुद्ध शिकायत सही पायी जाती है तो समिति की अनुशंसा पर उसके खिलाफ विभागीय कार्यवाही भी की जा सकती है। अधिवक्ता सुश्री राखी शर्मा ने बताया कि अधिनियम का उद्देश्य महिलाओं के लिये एक सुरक्षित एवं अनुकूल कार्य वातावरण बनाने के साथ यौन उत्पीड़न के खिलाफ सुरक्षा प्रदान करना है। उक्त जागरूकता कार्यक्रम में पराविधिक स्वयं सेवक, पैनल लॉयर्स एवं महिला कर्मचारी आदि उपस्थित रहीं।