
बिजनौर, 19 मई। कलक्ट्रेट सभागार में सोमवार को जिलाधिकारी जसजीत कौर की अध्यक्षता में मानव-गुलदार संघर्ष न्यूनीकरण के लिए समीक्षा बैठक आयोजित हुई।
जिलाधिकारी श्री कौर ने बिजनौर के विभिन्न क्षेत्रों में गुलदार के हमलों की घटनाओं पर चिंता व्यक्त करते हुए प्रभागीय निदेशक वानिकी को ऐसी घटनाओं को रोकने के लिए प्रभावी कार्य योजना तैयार कर आवश्यक कदम उठाने के निर्देश दिए। उन्होंने अधिकारियों को निर्देश दिए कि गुलदार प्रभावित क्षेत्रों में जागरूकता कार्यक्रम आयोजित करें तथा दीवारों पर गुलदार से संबंधित आवश्यक जानकारी एवं उसके हमले से बचाव के उपायों को अंकित किया जाए।
डीएम ने संबंधित अधिकारियों को निर्देश दिए कि गुलदार प्रभावित क्षेत्रों के लिए प्राथमिक उपचार किट तथा एंटी रेबीज इंजेक्शंस उपलब्धता सुनिश्चित करें। उन्होंने मुख्य चिकित्सा अधिकारी को निर्देश दिए कि गुलदार हमले पर उपचार आदि के लिए बनायी गई मेडिकल एसओपी के अंतर्गत आवश्यक कार्रवाई करना सुनिश्चित करें।
उन्होंने वन विभाग के अधिकारियों को गुलदार प्रभावित अति संवेदनशील क्षेत्रों में वाच टावर लगवाने, सोलर बेस्ड हैलोजन लाइट्स, शोर के लिए लाउडस्पीकर तथा झाड़-झंखाड़ की सफाई की समुचित व्यवस्था सुनिश्चित कराने के निर्देश दिए। उन्होंने जन मानस के लिए खतरनाक साबित हो रहे गुलदारों को पकड़ने के लिए पिंजरे लगाने और प्रभावित क्षेत्रों में वन कर्मियों की सघन गश्त बढ़ाना सुनिश्चित करने के निर्देश दिए। श्रीमती कौर ने निर्देश देते हुए कहा कि वन्यजीव बाहुल्य क्षेत्रों/मानव वन्यजीव संघर्ष के दृष्टिगत संवेदनशील चिन्हित क्षेत्रों विशेष रूप से जो आबादी से लगे हों, में नियमित रूप से गश्त बढ़ाई जाये तथा गश्त के दौरान स्थानीय निवासियों से भी नियमित जन संपर्क किया जाये और उनको वन्यजीवों से सुरक्षा के उपायों जैसे रात्रि में खुद एवं बच्चों को अकेला न जाने देने, पशुओं के गले में घंटियां डालने आदि विषय में जागरूक किया जाये।
इस अवसर पर आईएएस ट्रेनी कुणाल रस्तोगी ने पीपीटी के माध्यम से गुलदार-मानव संघर्ष पर रिसर्च प्रस्तुतिकरण किया, जिसके सापेक्ष जिलाधिकारी ने वन विभाग सहित सभी संबंधित अधिकारियों को मानव गुलदार संघर्ष को न्यूनतम स्तर पर ले जाने के लिए विभागीय कार्य योजना तैयार करने के निर्देश दिए।
इस अवसर पर डीएफओ, जिला विकास अधिकारी रचना गुप्ता, सीएमएस मनोज सैन, पंचायत राज अधिकारी, जिला गन्ना अधिकारी, पशुपालन, पर्यावरण विभाग सहित अन्य संबंधित विभागीय अधिकारी मौजूद थे।