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“मिट्टी का भराव कराकर तालाब में काटी जा रही कॉलोनी”

तहसील सदर बिजनौर की ग्राम पंचायत बरूकी में मिटाया जा रहा तालाब का अस्तित्व

एक दूसरे पर पल्ला झाड़कर खुद को बचाने का प्रयास कर रहे ग्राम प्रधान और लेखपाल

बिजनौर, 07 अप्रैल 2025
तेजी से गिरते भूगर्भ जल स्तर को बचाए रखने के लिए सरकार और सुप्रीम कोर्ट भले ही तालाबों और पोखरों के अस्तित्व पर जोर दे रही है। तालाबों की तलछट सफाई और अवैध कब्जों से मुक्त कराने के लिए सरकार ग्राम, क्षेत्र और जिला स्तरीय पंचायतों को धन बांट रही है, लेकिन ग्रामीण क्षेत्रों में हो कुछ उलट ही रहा है। हालात ये हैं कि गांवों में 80 फीसदी से अधिक तालाबों की आज तक कभी सफाई ही नहीं कराई गई है। और, जिन 20 फीसदी तालाबों की सफाई हुई उनकी पालट/पटरियों पर आसपास के लोगों ने अवैध रूप से कब्जा करते हुए कच्चे और पक्के निर्माण कर लिए है।

ग्रामीण इलाकों में तालाबों की दुर्गति का जायजा लेने के लिए “गोवर्धन मीडिया” की टीम ने रविवार, 06 मार्च 2025 को उत्तर प्रदेश में जनपद बिजनौर के विकास खंड नजीबाबाद और मो.पुर देवमल की दो पंचायतों का भ्रमण किया। नजीबाबाद ब्लॉक की ग्राम पंचायत आजमपुर मोहम्मद अली उर्फ खानपुर गांव में आबादी से सटे हुए दो तालाब हैं। गांव के पश्चिमी छोर पर प्राइमरी स्कूल के निकट स्थित तालाब की हालात काफी खराब है। आसपास के लोगों ने चारों तरफ से कब्जा कर लिया है। ग्रामीणों ने बताया कि इस तालाब की सिर्फ एक बार सफाई हुई है। वह भी कई साल पहले। लेकिन, सफाई के बाद तालाब के चारों तरफ बनाई गई पालट यानी पटरी पर ग्रामीणों ने अवैध कब्जा कर लिया है।

खानपुर में ही गांव के पूर्वी छोर पर पंचायत घर के पास स्थित तालाब की हालत तो बहुत ही दयनीय मिली। तालाब के किनारे चारों तरफ रहने वाले लोग अपने घरों का कूड़ा तालाब में डालते जा रहे हैं, फिर मौका लगते ही मिट्टी डालकर कूड़े के ढेर को दबा दिया जाता है। महीने दर महीने यही सिलसिला सालो साल लगातार चल रहा है, जिससे तालाब के किनारे रहने वाले लोगों के घरों की जमीनें रातों-रात बढ़कर दो से तीन गुनी हो गई हैं। और, तालाब का रकबा सिमटता चला जा रहा है। तालाब पर अवैध कब्जा करने से रोकना-टोकना गांव वालों को गंवारा नहीं करता, और सरकारी मुलाजिम लेखपाल आदि अपनी पौ बारह करके अनदेखा करते हुए खिसक लेते हैं। इस संबंध में खानपुर गांव के हल्का लेखपाल से “गोवर्धन मीडिया” की फोन पर बात हुई तो उन्होंने मामले की जानकारी होने से इनकार किया।

वहीं, मोहम्मदपुर देवमल ब्लॉक की ग्राम पंचायत बरूकी में तो मिट्टी का भराव कराकर एक तालाब को पूरी तरह से पाट दिया गया। और, उसमें कॉलोनी काटी जा रही हैं। ग्रामीणों ने बताया कि करीब एक-डेढ़ साल पहले इस तालाब में सिंघाड़े की फसल हुआ करती थी। गांव का पानी भी इसी तालाब में आकर भरता था। लेकिन, आज यहां पर कॉलोनी विकसित हो रही है। यह कॉलोनी अवैध है या वैध यह तो जांच के बाद ही पता चलेगा, लेकिन ग्राम प्रधान की आंखों के आगे मिट्टी का भराव करके तालाब क्यों पाट दिया गया, इस सवाल के जवाब में ग्राम प्रधान और लेखपाल एक दूसरे पर पल्ला झाड़ रहे हैं।

बरूकी में दक्षिणी छोर पर थंबूवाला गांव के रास्ते किनारे स्थित इस तालाब के पास में ही आबादी से सटा एक और तालाब है, उसे भी मिट्टी का भराव करके पाटने का काम शुरू हो गया है। तालाब की सफाई पर बात हुई, तो ग्रामीणों ने बताया कि उनकी याद में आज तक गांव के पांचों तालाबों में से किसी भी तालाब की सफाई नहीं कराई गई। इस संबंध में ग्राम प्रधान का कहना है कि लेखपाल और राजस्व विभाग के पास सभी प्रकार की जमीनों का हिसाब-किताब और दस्तावेज होते हैं, इसलिए वे ही बताएंगे कि माजरा क्या है ? तालाब को क्यों पाटा गया ?

उधर, बरूकी के हल्का लेखपाल का कहना है कि यह तालाब गांव के कुछ लोगों को पट्टे में मिला था। जिन्होंने किसी अन्य व्यक्ति को बेच दिया, जोकि मिट्टी का भराव करके कॉलोनी काट रहा है। लेकिन, तालाब का पट्टा किस श्रेणी में हुआ था ? और क्या पट्टे में मिले तालाब को बेचा भी जा सकता है ? “गोवर्धन मीडिया” ने जब यह प्रश्न किया तो हल्का लेखपाल कोई उत्तर नहीं दे पाए। और, इस विषय में तहसील में आकर मिलने की बात कहते हुए फोन काट दिया।

तालाबों की सफाई और अवैध कब्जों की समस्याएं संबंधित एवं जिम्मेदार अफसरों की संज्ञान में आए, और उचित कार्यवाही के जरिए तालाबों को बचाया जा सके, इसलिए “गोवर्धन मीडिया” ने नजीबाबाद और बिजनौर तहसील के तहसीलदारों से बात की। दोनों तहसीलों के तहसीलदारों का एक ही जवाब था, मामला संज्ञान में नहीं है, इसे दिखवाएंगे और उचित कार्यवाही की जाएगी। कार्यवाही होगी या नहीं ये तो बाद की बात है, लेकिन मामला संज्ञान में ही नहीं, यह बात लेखपालों और तहसीलदारों की कार्यशैली पर निश्चिय ही सवाल खड़ा कर रही है।

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