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“सृजन” ग्रीष्मकालीन सात दिवसीय चित्रकला कार्यशाला के द्वितीय दिवस का आयोजन

बुंदेलखंड की चितेरी कला 16वीं सदी की पारंपरिक लोक कला - यशवंत जोशी

बिजनौर। उत्तर प्रदेश लोक जनजाति संस्कृति संस्थान लखनऊ (संस्कृति विभाग उत्तर प्रदेश) एवं वर्धमान कॉलेज बिजनौर के संयुक्त तत्वावधान में “सृजन” ग्रीष्मकालीन सात दिवसीय चित्रकला कार्यशाला के द्वितीय दिवस का आयोजन किया गया। कार्यशाला के प्रशिक्षक श्री यशवंत जोशी ने“ बुंदेली आर्ट फॉर्म चितेरी” के बारे में बताते हुए कहा कि यह बुंदेलखंड की चितेरी कला 16वीं सदी की पारंपरिक लोक कला में विवाह में होने वाले आयोजन जेसे हल्दी पूजन,मेंहदी लगाती हुई स्त्रियाँ,मंडप व बारात में स्वागत करती हुई स्त्रियाँ ,स्वागत करते हुए रमतूल्ला पुरुष ,बुन्देली गणेश आदि को रंगों द्वारा कैनवास पर उकेरा गया है| यह कला शादी,तीज त्यौहार व बुंदेली संस्कृति को प्रदर्शित करता है|

इस कार्यशाला में लगभग 30 छात्राओं आयुषी,स्वाति,तान्या,कनन,पूजा आर्यन, आरती,अंजलि,गीतिका,कविता रानी, तेजस्वी जैसे कई छात्र-छात्राएं ने बढ़ चढ़कर प्रतिभा किया। छात्र-छात्राओं के साथ-साथ महाविद्यालय के शिक्षक व शिक्षिकाओं ने भी चित्रकला का प्रशिक्षण लिया।कार्यशाला का संचालन प्रोफेसर सी. एम. जैन (प्राचार्य), श्री अतुल द्विवेदी (निदेशक उत्तर प्रदेश लोक एवं जनजाति संस्थान), श्री शिशिर (निदेशक संस्कृति निदेशालय उत्तर प्रदेश), श्री रविन्द्र कुमार (विशेष सचिव संस्कृति विभाग उत्तर प्रदेश), श्री मुकेश कुमार मेश्राम (प्रमुख सचिव संस्कृति एवं पर्यटन उत्तर प्रदेश) के कुशल निर्देशन में किया गया।

कार्यशाला में महाविद्यालय के प्राचार्य प्रोफेसर सी. एम. जैन , प्रबंध समिति के सदस्य बी .के. सिंह,प्रोफ़ेसर अलका साहू, प्रोफ़ेसर राजेश कुमार यादव,प्रोफेसर जे.के.विश्वकर्मा,डॉ मेघना अरोड़ा,डॉ ओ.पी सिंह ,डॉ करण देशवाल, डॉ अदीब नाज,डॉ आयुष बघेल,डॉ आरती,डॉ प्रतिभा, मोहम्मद साबिर आदि ने प्रतिभागियों व संस्कृतिक पदाधिकारियों का उत्साहवर्धन किया ।चित्रकला कार्यशाला को सफल बनाने में सांस्कृतिक समिति की समन्वयक डॉक्टर दुर्गा जैन, डॉ चारुदत्त आर्य,डॉ नीलम गुप्ता, डॉ रेनू चौहान, डॉ बबीता चौधरी, डॉ अंशु चौधरी, और डॉ विनीता पांडे,डॉ अनामिका डॉ टीना अग्रवाल आदि का विशेष सहयोग रहा।

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