
नालंदा। म्यांमार के एक उच्चस्तरीय राजनयिक प्रतिनिधिमंडल ने, श्री ह्टून आंग क्याओ, उप महानिदेशक, म्यांमार और सुश्री अनीता शुक्ला, संयुक्त सचिव, सुषमा स्वराज इंस्टीट्यूट ऑफ फॉरेन सर्विस, विदेश मंत्रालय, नई दिल्ली के नेतृत्व में, नव नालंदा महाविहार, नालंदा का दौरा किया ।
प्रतिनिधिमंडल का गर्मजोशी से स्वागत नव नालंदा महाविहार के माननीय कुलपति प्रो. सिद्धार्थ सिंह द्वारा किया गया ।
इस अवसर पर, नालंदा और प्राचीन नालंदा महाविहार के अकादमिक, सांस्कृतिक, धार्मिक और ऐतिहासिक पहलुओं को कवर करने वाला एक संवादात्मक सत्र आयोजित किया गया । नव नालंदा महाविहार के संकाय सदस्यों, छात्रों और शोधकर्ताओं ने राजनयिकों के साथ सक्रिय रूप से बातचीत की। सत्र की शुरुआत गणमान्य व्यक्तियों द्वारा दीप प्रज्ज्वलन से हुई, जिसके बाद भिक्षु संघ और डॉ. धम्म ज्योति, एसोसिएट प्रोफेसर, पालि विभाग द्वारा बुद्ध वंदना का पाठ किया गया ।
इस अवसर पर बोलते हुए, श्री ह्टून आंग क्याओ ने म्यांमार और भारत के बीच प्राचीन ऐतिहासिक और सांस्कृतिक संबंधों को रेखांकित किया, विशेष रूप से बौद्ध अध्ययन के क्षेत्र में उन्होंने इन संबंधों को मजबूत करने के लिए सतत अकादमिक सहयोग और विनिमय कार्यक्रमों के महत्व पर जोर दिया। साथ ही, उन्होंने बौद्ध विरासत के संरक्षण और प्रचार में नव नालंदा महाविहार के योगदान के लिए अपनी गहरी कृतज्ञता व्यक्त की ।
अपने संबोधन में, सुश्री अनीता शुक्ला ने बौद्ध अध्ययन में अंतरराष्ट्रीय सहयोग को बढ़ावा देने में नव नालंदा महाविहार जैसी संस्थाओं की भूमिका पर प्रकाश डाला। उन्होंने नालंदा को एक प्रमुख शिक्षा केंद्र के रूप में मान्यता दी और आशा व्यक्त की कि इस प्रकार की वार्ताएँ भारत और म्यांमार के बीच गहरे विद्वतापूर्ण आदान-प्रदान और आपसी समझ को प्रोत्साहित करेंगी ।
अपने अध्यक्षीय संबोधन में, प्रो. सिद्धार्थ सिंह ने नालंदा को एक प्राचीन ज्ञानपीठ के रूप में रेखांकित किया और नव नालंदा महाविहार जैसी संस्थाओं के माध्यम से इसकी निरंतर विरासत पर बल दिया । उन्होंने विश्वविद्यालय की बौद्ध दर्शन, संस्कृति और अंतरधार्मिक संवाद को बढ़ावा देने की प्रतिबद्धता पर जोर दिया । साथ ही, उन्होंने म्यांमार प्रतिनिधिमंडल की इस यात्रा की सराहना की और इसे द्विपक्षीय अकादमिक संबंधों और साझा विरासत को सुदृढ़ करने की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम बताया।
इससे पूर्व, स्वागत भाषण अंग्रेजी विभाग के विभागाध्यक्ष प्रो. श्रीकांत सिंह द्वारा दिया गया, जबकि धन्यवाद ज्ञापन बौद्ध अध्ययन विभाग के सहायक प्रोफेसर डॉ. सुरेश कुमार द्वारा प्रस्तुत किया गया । कार्यक्रम का संचालन बौद्ध अध्ययन विभाग की सहायक प्रोफेसर डॉ. सोनम लामो द्वारा किया गया।
इस कार्यक्रम के अंतर्गत नालंदा की विरासत और इसकी निरंतरता पर आधारित एक विशेष फीचर फिल्म का प्रदर्शन भी किया गया, जिसमें नालंदा की समृद्ध ऐतिहासिक और शैक्षिक विरासत की झलक प्रस्तुत की गई । प्रतिनिधिमंडल ने नव नालंदा महाविहार के देशरत्न डॉ. राजेंद्र प्रसाद पुस्तकालय की पांडुलिपि अनुभाग, ह्वेन त्सांग स्मारक कक्ष, सांस्कृतिक ग्राम और प्राचीन नालंदा स्थल का भी दौरा किया।
प्रतिनिधिमंडल में कई प्रतिष्ठित म्यांमार के राजनयिक शामिल थे, जिनमें सुश्री सू मों आंग, सुश्री शिन मिन सि सी ऊ, सुश्री थंडार आंग, सुश्री सू सू ह्ला, सुश्री थिन यानात ह्टून, सुश्री खिन लाप्ये वुन, सुश्री ओहयू थिरी क्यॉ, सुश्री एय सु प्याए, सुश्री हनिन नवे ह्लाइंग, श्री ला मिन आंग, सुश्री थिन थाजिन, सुश्री थिरी मिन नाइंग, सुश्री एय म्या को, सुश्री खिन युन सान, सुश्री हनी मो थू, सुश्री म्यात सु सु न्येइन, श्री जॉ रीता, सुश्री एइंद्रय म्यु खिन, श्री थिहा आंग, श्री ह्लाइंग मिन हेन, सुश्री हेन सेट आंग, श्री हेन हेत आंग, सुश्री एई श्वे सिन लिन, सुश्री मय मो क्यांग किन, श्री क्यांग सेट न्येइन, श्री स्वाम मिन टॉ, श्री क्यॉ झॉ लिन और श्री मिन खंत खुन शामिल थे। इस अवसर पर पूर्व राजदूत डॉ केतन शुक्ला की उपस्थिति भी विशिष्ट रही ।
इस यात्रा ने भारत और म्यांमार के बीच गहरे सांस्कृतिक और ऐतिहासिक संबंधों को पुनः पुष्टि दी, विशेष रूप से बौद्ध अध्ययन और विरासत के क्षेत्र में । नव नालंदा महाविहार में हुआ यह संवाद दोनों देशों के बीच अकादमिक और राजनयिक सहयोग को बढ़ावा देने के लिए एक मूल्यवान मंच साबित हुआ ।