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“कृत्रिम बुद्धिमता आज की जरूरत…”

वर्धमान कॉलेज बिजनौर में आयोजित किया गया दो दिवसीय राष्ट्रीय संगोष्ठी

– गोवर्धन मीडिया ब्यूरो
बिजनौर। वर्धमान कॉलेज, बिजनौर में शनिवार, 22 मार्च 2025 को “कृत्रिम बुद्धिमता: कौशल विकास रोजगार के अवसर और चुनौतियां” विषय पर दो दिवसीय राष्ट्रीय संगोष्ठी का शुभारम्भ हुआ। जिसमें वक्ताओं ने कृत्रिम बुद्धिमत्ता और मशीन लर्निंग के महत्व पर चर्चा की। उन्होंने बताया कि कृत्रिम बुद्धिमत्ता आज की आवश्यकता है। कौशल विकास का आधार होने के साथ ही यह रोजगार का अवसर भी प्रदान कर रही है। इसने हमारे काम को आसान बनाया है, लेकिन इसकी कुछ चुनौतियां भी हैं। जिन्हंे समझते हुए हमें और अधिक स्मार्ट बनने की जरूरत है।


सेमीनार के शुभारंभ में सर्वप्रथम मुख्य अतिथि गुरू जम्भेश्वर विश्वविद्यालय के कुलपति प्रो. सचिन माहेश्वरी कार्यक्रम के अध्यक्ष, अर्जुन साहू-सचिव, प्रबंध तंत्र, वर्धमान कॉलेज प्रो. सी.एम. जैन, प्राचार्य, प्रो. टी.एन. सूर्य, प्रो. जे.के. विश्वकर्मा एवं डा. नितेश गुप्ता सभी ने मिलकर मां सरस्वती के सम्मुख द्वीप प्रज्जवलन एवं माल्यार्पण किया। इसके बाद प्राचार्य प्रो. सी.एम. ने स्वागत भाषण दिया। कार्यक्रम में कुलपति प्रो. सचिन माहेश्वरी ने कृत्रिम बुद्धिमत्ता और मशीन लर्निंग के महत्व पर चर्चा की। बताया कि कृत्रिम बुद्धिमत्ता आज की आवश्यकता है। संगोष्ठी की मुख्यवक्ता आई.आई.टी., रुड़की से आई प्रो. मिली पंत ने कृत्रिम बुद्धिमत्ता की दुनिया को बड़े ही रोचक ढंग से हमारे सामने रखा। उन्होंने स्मार्ट वॉच जैसे डिजिटल उपकरणों से शुरूआत की। बताया कि मशीन लर्निंग जो ए.आई. का आधार है, ने मशीनों को बोलने, सुनने और अब परिणाम देने की शक्ति दी है। प्रो. पंत ने आगे कहा कि मानवीय कौशल और ए.आई. के मेल से हमारा कामकाज और बेहतर हो सकता है। हमें ए.आई. से अधिकतम लाभ के लिए खुद को ढालना होगा। ए.आई. का दायरा मनोरंजन में एनिमेशन से लेकर शिक्षा में निजी ट्यूटर तक फैला हुआ है।

टेस्ला की ए.आई. कारें, गूगल मैप की ट्रफिक भविष्यवाणी और नीति निर्माण में इसका उपयोग इसके बढ़िया उदाहरण है। प्रो. टी. एन. सूर्य ने कहा कि ए.आई. के आने से नौकरियों के नए-नए अवसर बनेंगे। प्रो. जे.के. विश्वकर्मा ने समाज से जोड़कर ए.आई. के बारे में अपनी बात रखी। उन्होंने बताया कि ए.आई. समाज के लिए बहुत उपयोगी सिद्ध होगा। कार्यक्रम की अध्यक्षता कर रहे अर्जुन साहू ने अपने संबोधन में कहा कि ए.आई. इंसानों द्वारा बनाया गया है, इसलिए रचयिता को उसकी रचना कभी नहीं हटा सकती। सत्र के अंत में डॉ. नितेश गुप्ता ने सभी का धन्यवाद ज्ञापित किया।


कार्यक्रम का सफल संचालन डॉ. रेशु शर्मा ने किया। राष्ट्रीय संगोष्ठी के दूसरे सत्र का आरम्भ अमन साहू की वार्ता से हुआ। उन्होंने ए.आई. का प्रयोग उच्च शिक्षा के लिए बहुत ही फलदायी बताया। इसी क्रम में दिल्ली विश्वविद्यालय के करोड़ीमल कॉलेज के प्रो. बी.के. सूर्या ने भी ए.आई. पर अपना व्याख्यान दिया। उन्होंने कहा कि ए.आई. आने वाले समय की आवश्यकता है, लेकिन हमें ए.आई. से भी स्मार्ट बनना है। राष्ट्रीय संगोष्ठी में लगभग 200 रजिस्ट्रेशन हुए और देश, विभिन्न राज्यों से आए प्रोफेसरों ने सहभागिता की। सेमिनार में महाविद्यालय के सभी शिक्षक और शिक्षणेत्तर कर्मचारी उपस्थित रहे। राष्ट्रीय सेमिनार की कोर कमेटी में डॉ. दिव्या जैन, डॉ. अंजू बंसल, डॉ. राजीव कुमार अग्रवाल, डॉ. वैशाली पूनिया, डॉ. नीलम गुप्ता, डॉ. धर्मेन्द्र यादव, डा. सुनील पंवार, डॉ. अचिन्त्य कुमार गुप्ता आदि का विशेष योगदान रहा।

राष्ट्रीय संगोष्ठी के तकनीकी सत्र में लगभग 50 शोध पत्र प्रस्तुत किए गए। जिनमें कृत्रिम बुद्धिमत्ता के विभिन्न पहलुओं, की विस्तार से चर्चा हुई। समाचार लिखे जाने तक शोध पत्र प्रस्तुतीकरण जारी है। राष्ट्रीय सगोष्ठी में महाविद्यालय के सभी शिक्षक एवं शिक्षणेत्तर कर्मचारी उपस्थित रहे।

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