
– पंचायती राज विभाग में सफाईकर्मी था बालेश
– एडीओ पंचायत राकेश कुमार पर लगा उत्पीड़न किए जाने का आरोप
– घरेलू काम नहीं करने की सजा में कराया ट्रांसफर, रुकवाया कई माह का वेतन
– राष्ट्रीय पंचायत, ब्यूरो।
बिजनौर। ये करूण रूदन…, ये विलाप है, उस महिला का, जिसका सुहाग अंतर्राष्ट्रीय महिला दिवस के अगले ही दिन भ्रष्ट और भद्दी प्रशासनिक व्यवस्था की भेंट चढ़ गया। बॉस की मनमर्जी का विरोध करने पर इस महिला के पति बालेश कुमार का कई माह से वेतन नहीं दिया गया। नतीजा ये हुआ कि परिवार की गुजर-बसर के लिए आर्थिक तंगी से जूझते हुए जब बालेश की हिम्मत टूट गई, तो उसने फांसी के फंदे पर झूलकर अपनी जान दे दी।
जी हां, अभी तक आपने जो सुना वह सच है या झूठ यह तो जांच का विषय है, लेकिन उत्तर प्रदेश के बिजनौर जनपद में जिला मुख्यालय पर रविवार, 09 मार्च 2025 की रात हुई इस दुखद घटना ने जनपद के विभागीय एवं अन्य अधिकारियों में सनसनी फैला दी है। बालेश की मौत वाकई आत्महत्या है या हत्या ? ये सवाल खड़ा हो गया है।
इस घटनाक्रम पर आगे बढ़ने से पहले बता दें कि बालेश कुमार बिजनौर शहर में ही मोहल्ला जाटान में चंडीमाता के मंदिर पास एक कॉलोनी में परिवार सहित रहता था। और, बिजनौर जनपद में पंचायती राज विभाग में ग्रामीण सफाई कर्मचारी के पद पर तैनात था। लेकिन, मूल तैनाती स्थल पर सफाई कार्य की बजाय बालेश से अफसरों द्वारा अकसर अपने घरों में साफ-सफाई कराना, खाना पकाना और बच्चे खिलाने आदि का कार्य लिया जाता था। बालेश द्वारा आत्महत्या किए जाने की वजह की पड़ताल की गई, तो सामने आया कि वह दो-तीन माह से बहुत परेशान था। क्योंकि, कुछ अधिकारियों ने कई माह से उसका वेतन रूकवा दिया था। आर्थिक तंगी से पूरा परिवार तंग था, घर में खाने के लाले पड़े थे।
बालेश के साथी सफाई कर्मचारियों का कहना है कि उसका वेतन जारी कराने के लिए उन्होंने कई बार विभागीय अधिकारी, यानी जिला पंचायत राज अधिकारी से शिकायत के बाद पूर्व जिलाधिकारी अंकित कुमार अग्रवाल तक से भी शिकायत की थी। लेकिन, बालेश का वेतन रूकवाने में खंड विकास स्तरीय जिस अधिकारी ने टांग अड़ा रखी थी, उस पर कोई कार्यवाहीं नहीं हुई। नतीजा यह हुआ कि तंगी से जूझते-जूझते बालेश फांसी पर झूल गया। घर में पैसे की तंगी से परेशान होकर पत्नी भी एक-दो दिन पहले ही बेटे को लेकर मायके गई थी। और, आर्थिक रूप से टूट चुके बालेश ने रविवार, 09 मार्च 2025 की रात फांसी लगाकर आत्महत्या कर ली।
अब ये तो समझ आ गया कि बालेश ने जो आत्महत्या है की, उसकी वजह थी कई माह से वेतन नहीं मिलना। लेकिन, वेतन रोका क्यों ? और किसने रूकवाया ? इन सवालों का जवाब ढूंढने का प्रयास किया गया तो “गोवर्धन मीडिया” टीम को कई ऐसे तथ्य और साक्ष्य प्राप्त हुए हैं, जिन्हें देखकर और सुनकर आपके रोंगटे खड़े हो जाएंगे। आप शॉक रह जाएंगे यह जानकर कि क्या कोई अफसर निजी स्वार्थ के लिए अपने अधीनस्थ कर्मचारी का इस हद तक उत्पीड़न, शोषण यानी टॉर्चर कर सकता है ?
आत्महत्या करने वाले बालेश का वेतन किसने रोका ? और क्यों रोका ? इन सवालों का जवाब जानने के लिए “गोवर्धन मीडिया” ने पोस्टमार्टम हाउस पर मौजूद बालेश के साथी सफाई कर्मचारियों से बात की। इस दौरान कई साथी तो कैमरा देखते ही खिसक लिए, लेकिन कुछ चुनिंदा साथियों ने खंड विकास स्तर एक अधिकारी को बालेश की मौत का आरोपी बताया। कहा कि वह अधिकारी बालेश से अपने घर काम कराते थे। एक आपत्तिजनक कार्य के लिए भी दबाव बनाया। विरोध किया तो बिजनौर से करीब 40 किलोमीटर दूर स्थित ग्राम पंचायत गोपालपुर में ट्रांसफर करा दिया। और, वहां के ग्राम प्रधान को हिदायत दे दी कि बालेश की हाजिरी प्रमाणित करके दी तो अच्छा नहीं होगा। इस वजह से बालेश का वेतन रूकता चला गया और बालेश आर्थिक तंगी में फंसता गया।

तंग करने के लिए रोक गया वेतन
बिजनौर। साथी सफाई कर्मचारी द्वारा ब्लॉक स्तर के अधिकारी पर लगाए गए आरोप की पुष्टि में “गोवर्धन मीडिया” की टीम ने बालेश की पत्नी और अन्य सफाई कर्मियों से बात की। सफाई कर्मियों की यूनियन, उत्तर प्रदेश पंचायती राज ग्रामीण सफाई कर्मचारी संघ के जिला कोषाध्यक्ष नरेश कुमार ने बताया कि ग्राम प्रधान बिजेंद्र सिंह से बालेश की हाजिरी प्रमाणित कराने के लिए वह यूनियन का पदाधिकारी होने के नाते बालेश को लेकर खुद भी गोपालपुर में गए थे। लेकिन, ग्राम प्रधान ने उक्त अधिकारी की हिदायत का हवाला देते हुए बालेश की हाजिरी प्रमाणित करने से इनकार कर दिया था।
वहीं, पति की मौत पर विलाप करते हुए बालेश की पत्नी भी आत्महत्या कार कारण वेतन नहीं मिलना बता रही हैं। एक वीडियों में किसी से आपबीती सुनाते हुए वह कह रही हैं कि वे काफी दिनों से परेशान हैं, तीज त्योहार तो छोड़ों रोज के घरेलू खर्च के लिए भी पाई-पाई के मोहताज हो गए हैं।
क्या कह रहे हैं आरोपी ?
बिजनौर। जिस खंड विकास स्तर पर तैनात अधिकारी पर बालेश को आत्महत्या के लिए मजबूर करने का आरोप लग रहा है, उनका कहना है कि सभी आरोप बेबुनियाद है। मनघड़ंत हैं। उन्होंने बताया कि बालेश का सिर्फ दो माह जनवरी फरवरी का वेतन रूका है। ग्राम प्रधान हाजिरी प्रमाणित करके भेजते हैं, और हम वेतन जारी कराने के लिए रिपोर्ट विभागीय अधिकारी को अग्रसारित कर देते हैं।
बालेश की मौत पर क्या होगा न्याय ?
बिजनौर। बालेश की आत्महत्या को लेकर पंचायत राज विभाग के कार्यालय सहित पूरे विकास भवन और ब्लॉक परिसर में चर्चाएं चल रही हैं। लोगों की जुबां पर आत्महत्या के भिन्न-भिन्न कारण आ रहे हैं। लेकिन, इस दुखद घटना का इससे भी दुखद और अफसोसजनक दूसरा पहलू यह भी है कि आरोपित अफसर को बचाने के लिए उनके चहेते कर्मचारी, विभागीय अधिकारी, और अन्य प्रशासनिक अधिकारी तक मामले को दबाने और सैटल करने में लगे हुए हैं। मृतक बालेश की पत्नी और अन्य परिजनों को तरह-तरह से प्रलोभन देने के अलावा दबाव तक बनाया जा रहा है। मामले में आरोपितों के खिलाफ एफआईआर दर्ज न हो सके, इसके लिए हर हथकंडा अपनाया जा रहा है।
अब देखना होगा कि बालेश को आत्महत्या के लिए विवश करने के इस मामले में क्या आरोपितों पर कोई कार्यवाही हो पाएगी, या मामले को सैट करके दबा दिया जाएगा। और, फिर किसी अन्य कर्मचारी की आत्महत्या की पटकथा लिखी जाएगी। निजी स्वार्थ में संवेदनहीन हो चुके ऐसे अफसरों में इस खबर को देखकर शायद उनकी संवेदनशीलता जाग जाएगी, इसी उम्मीद के साथ विदा लेते हैं।